CBSE Solved Sample Papers for Class 7 for Hindi – First Term
CBSE Solved Sample Papers for Class 7 for Hindi Subject (Term 1) is given below. The solved sample papers are created as per the latest CBSE syllabus and curriculum keeping in mind the latest marking schemes.
प्रश्न 1. विशेषण की परिभाषा और भेदो के नाम उदाहरन सहित लिखिए
उतर – परिभाषा – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते है, उन्हें विशेषण कहते है
जैसे – काला कुता, दो सेब
विशेषण के चार भेद है:
- गुणवाचक विशेषण – जो विशेषण किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था स्थिति आदी विशेषता का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते है
जैसे : वह चतुर बालक है!
कला कोट पेहनो !
- परिमाणवाचक विशेषण – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा के बारे म बताये उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है !
जैसे – तीन लीटर दूध, एक किलो चावल, दो मीटर रस्सी !
परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार का होता है
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिणाम (मात्रा) का बोध कराते है, उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते है ! जैसे – दो किवंटल चावल, दस मीटर कपडा, तीन किलो चीनी !
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषणों से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिणाम (मात्रा) का बोध ना हो, उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते है ! जैसे : थोडा दूध, कुछ आम, कम चीनी !
- संख्यावाचक विशेषण – जो शब्द किसी संज्ञा की संख्या या क्रम का बोध कराए, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते है ! जैसे : चार पुस्तके, पांचवा आदमी !
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है :
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम विशेषण के रूप में पर्युक्त होते है, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते है, जैसे – यह पुस्तक मेरी है, कोई व्यक्ति आ रहा है!
प्रश्न 2. निर्देशानुसार उतर लिखिए –
(क) किन्ही दो शब्दों के दो दो पर्यावाची शब्द लिखिए –
आंख , सूर्य , पानी
उतर – आंख – चक्षु, लोचन
सूर्य – रवि, भास्कर
पानी – जल, नीर
(ख) किन्ही दो शब्दों को प्रेरणार्थक क्रिया में बदलिए –
लिखना , पढना, करना
उतर – लिखना- लिखवाना
पढना – पढवाना
करना – करवाना
(ग) ‘इक’ प्रत्यय का प्रयोग करते हुए दो शब्द लिखिए –
उतर – वार्षिक, सामाजिक !
(घ) ‘अनु’, उपसर्ग का प्रयोग करते हुए दो शब्द बनाइए !
उतर – अनुक्रम, अनुपयोगी !
(ड) हिंदी और पंजाबी की लिपियों के नाम लिखिए !
उतर – हिंदी – देवनागरी , पंजाबी – गुरुमुखी
प्रश्न 3. निर्देशानुसार उतर लिखिए –
(क) ‘वाला’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द बनाइए
उतर – दूधवाला , फलवाला !
(ख) दो – दो अर्थ लिखिए – प्रष्ठ, कनक
उतर – प्रष्ठ – पीठ, पेज
कनक – सोना, धतूरा
(ग) ‘कुल-कूल’ के अर्थ का अंतर वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिये !
उतर – कुल – वह उच्च कुल में उत्पन हुआ है !
कूल – नदी का कूल गहरा है !
(घ) निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिये
हाथ लगना, हका बका रह जाना
उतर – हाथ लगना – अचानक कोई वस्तु मिल जाना
सोहन के हाथ काफी धन लग गया है !
हका बका रह जाना – हेरान हो जाना
तुम्हे अचानक आया देखकर सभी हके बके रह गये !
(ड) विग्रह करके समास का नाम बताओ !
दाल-चावल, आमरण
उतर- दाल-चावल = दाल और चावल – द्वंदु समास
आमरण – मरण तक – अव्ययीभाव समास
प्रश्न 4. किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए
(क) समय का सदुपयोग
(ख) पुस्तकालय के लाभ
(ग) दीपावली
उतर – (क) समय का सदुपयोग
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा है – “ का बरसा जब कृषि सुखाने ! समय चूकि पुनि का पछिताने !!” अथार्थ कृषि की फसल के सुख जाने पर वर्षा व्यर्थ है और समय के व्यतीत हो जाने पर प्रायश्चित करने का कोई लाभ नही ! कहा गया है – “ अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत ! “समय बीत जाने पर दोबारा लोटकर नही आता इसलिए बाद में किया प्रायश्चित व्यर्थ ही रहता है ! हमे समय के महत्व और उपयोगिता को समझ कर समय का सदुपयोग करना चाहिए !
समय सबसे अमूल्य है ! समय रूपी धन का सोच – समझकर उपयोग करना चाहिए ! इसका सही उपयोग करने से मानव का भविष्य उन्नत होता है ! कहते है की बिता हुआ समय लोटकर नही आता ! यह जानकर व्यर्थ में समय नही गवाना चाहिए ! धीरे -2 करके समय यो ही बिताता रहता है, उसके बीतने का पता ही नही चलता ! एक-एक पल करके वर्षो बीत जाते है ! हमारे जीवन की कोई निश्चित अवधि नही है! समय का सदुपयोग वस्तुतः मानव के लिए आवश्यक है किन्तु छात्र जीवन में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है! छात्र अपने अध्यन काल में समय की उपेक्षा करेगा तो वह उज्वल जीवन का निर्माण नही कर सकेगा ! समय का सदुपयोग सफलता का प्रथम सोपान है ! परीक्षा के दिनों में एक-एक पल का समय कीमती होता है ! इन् दिनों समय का सदुपयोग करने वाला छात्र सर्वोच्य सफलता प्राप्त करता है !
समय का सही उपयोग हमारी विवेक शक्ति का परिचायक है ! एक बुद्धिमान एवं विवेकी व्यक्ति समय का सदुपयोग कर पाता है अन्य तो व्यर्थ के कार्यो में समय बर्बाद करते रहते है !
इसलिए माता – पिता , शिक्षक आदि का कर्तव्य है की घर या विद्यालय में बच्चो को प्रारम्भ से ही समय का सदुपयोग समझाये ! उन्हें आलसी न बनने दे ! छात्रों की नियमितता पर ध्यान दिया जाए! यदि छात्र जीवन से ही समय का सदुपयोग करने की आदत पड़ जाएगी तो उन्हें कभी भी जीवन में पछताना नही पड़ेगा ! अत प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है की वह समय का सदुपयोग करे !
(ख ) पुस्तकालय के लाभ
हमारे जीवन में पुस्तको का बड़ा महत्व है! जिस प्रकार शरीर की पुष्टि एवं स्वास्थ के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मस्तिष्क की पुष्टता के लिए पुस्तको की आवश्यकता होती है ! पुस्तके ज्ञान का भंडार है ! बड़े बड़े विद्वान अपना अधिकांश समय पुस्तके पढकर ही व्यतीत करते है !
पुस्तकालय शब्द ‘पुस्तक + आलय’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है पुस्तको का घर ! पुस्तकालय बनाने की प्रथा अत्यंत प्राचीन काल से है ! नालंदा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अत्यंत भव्य एवं विस्व्विख्यात थे ! रजा महाराजो, ब्रिटिश शासको आधी को भी पुस्तकालयों की स्धापना का शोक रहा है ! सरकारी एवं गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रो में पुस्तकालय खोले जा रहे है ! अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाए पुस्तकालयों की स्धापना करती है ! प्राय सभी विद्यालयों, कालेजो एवं विश्वविद्यालय में पुस्तकालय है ! निर्धन छात्रों की मदद के लिये ‘बुक-बेंको’ की भी स्धापना की गई है ! चलते फिरते पुस्तकालय भी जनता की सेवा कर रहे है ! पुस्तकालय में हमे अनेक प्रकार की पुस्तके पढने को मिलती है ! प्राय सभी विषयों की पुस्तके अच्छी पुस्तकालयों में मिल जाती है ! ज्ञानवर्धक एवं मनोरंजक दोनों प्रकार की पुस्तके यहा मिल जाती है ! विज्ञानं-सम्बन्धी, धार्मिक, पाठ्यक्रम सम्बन्धी लेखको, ज्योतिष सम्बन्धी आदि पुस्तके यहा उपलब्ध होती है ! मनोरंजक पुस्तको में उपन्यास, नाटक, कहानिया और साहितिय्क पुस्तके मिल जाती है ! अच्छे से अच्छे कवियों, लेखको, वैज्ञानिको, दार्शनिको की पुस्तके पुस्तकालय में होती है ! जो पुस्तके बाजार में सहज उपलब्ध न हो अथवा अत्यधिक महंगी हो उन्हें आसानी से पुस्तकालय में पाया जा सकता है ! सन्दर्भ ग्रन्थ तो पुस्तकालय में ही उपलब्ध होते है ! पुस्तकालय के नियमो का पालन करना हमारा कर्तव्य है ! हमारे प्रत्येक व्यवहार में अनुशाशन होना चाइये ! हमे अन्य पाठको की सुविधा का भी ध्यान रखना चाइए ! पुस्तकालय में शांति बनाये रखना नितांत आवश्यक है ! पुस्तकालय निर्धन वर्ग के छात्रों के लिए तो वरदान स्वरूप है ! इसके साथ – साथ शोध कार्य में लगे विद्याथियो के लिए पुस्तकालय का बहुत महत्व है !
पुस्तकालय स्थापना का कार्य केवल सरकार का ही नही मानना चाइए ! समाज के विभिन वर्गो को भी इस कार्य में पर्याप्त रूचि लेनी चाइए ! उन्हें अपने अपने क्षेत्रो में पुस्तकालय स्थापित करने चाइए !
इससे जहाँ पाठको को लाभ पहचाना है , व्ही लेखको का भी उत्साहवर्धन होता है, व्ही लेखको का भी उत्साहवर्धन होता है, यह एक पावन कार्य है ! इससे समाज प्रबुद्ध बनता है !
पुस्तकालय प्रभारी पुस्तकालय का प्राण होता है ! इसमें पाठको की रूचि जाने की क्षमता होनी चाइए ! पुस्तकालयों में पुस्तको को शीर्षक, लेखक का नाम, कर्म संख्या आदि में वर्गीक्रत करके रखना चाहिये !
नई पुस्तको का परिचय पाठको को उपलब्ध करनी चाइए ! अधिक से अधिक पुस्तके पाठको को जारी की जानी चाइए ! विद्यालय में पुस्तकालय का विशेस महत्व है ! पुस्तकालय के बिना विद्यालय की वह दशा होती है जैसे दवाइयों के बिना चिकित्सालय की ! पुस्तकालय ज्ञान – पिपासा शांत करने का केंद्र है हमे इसका पूरा उपयोग करना चाइए !
(ग ) दीपावली
दीपावली का अर्थ है – दीपों की पंक्तियां। दीपावली के दिन प्रत्येक घर दीपों की पंक्तियों से शोभायमान रहता है। दीपों, मोमबत्तियों और बिजली की रोशनी से घर का कोना-कोना प्रकाशित हो उठता है। इसलिए दीपावली को रोशनी का पर्व भी कहा जाता है।
दीपावली कार्तिक माह की अमावस को मनाई जाती है। रोशनी से अंधकार दूर हो जाता है। इसी तरह मन में अच्छे विचारों को प्रकाशित कर हम मन के अंधकार को दूर कर सकते हैं।
यह त्योहार अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता है। एक-दो हफ्ते पूर्व से ही लोग घर, आंगन, मोहल्ले और खलिहान को दुरुस्त करने लगते हैं। बाजार में रंग-रोगन और सफेदी के सामानों की खपत बढ़ जाती है। ठंडे मौसम की हल्की-सी आहट से तन-मन की शीतलता बढ़ जाती है।
दीपावली का दिन आने पर घर में खुशी की लहर दौड़ जाती है। बाजार में मिट्टी के दीपों, खिलौनों, खील-बताशों और मिठाई की दुकानों पर भीड़ होती है। दुकानदार, व्यापारी अपने बहीखातों की पूजा करते हैं और कई इसी दिन नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी करते हैं।
संध्या के समय घर-आंगन और बाजार जगमगा उठते हैं। पटाखों की गूंज और फुलझड़ियों के रंगीन प्रकाश से चारों ओर खुशी का वातावरण उपस्थित हो जाता है। घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं। बच्चों की स्कूल की छुट्टियों से इस त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है।
रात्रि में पटाखे चलाए जाते हैं। लगभग पूरी रात पटाखों का शोरगुल बना रहता है। दीपावली की बधाइयों के आदान-प्रदान का सिलसिला चल पड़ता है।
दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस बाजारों में चारों तरफ चहल-पहल दिखाई पड़ती है।
बर्तनों की दुकानों पर विशेष साजसज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है अतैव प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है। इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं।
दीपावली से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं
इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और माता जानकी 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे और उनके आने की खुशी में नगरवासियों ने घर-घर घी के दीये जलाए थे। तभी से इस त्योहार की शुरुआत हुई।
लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन “गोवर्धन पूजा” मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इन्द्र को पराजित किया था।
प्रश्न 5. पुस्तक विक्रेता कोई कुछ पुस्तके मांगने के लिए पत्र लिखिए!
सेवा में,
व्यवस्थापक महोदय ,
प्रभात प्रकाशन ,
2876 , नयी सड़क,
नईं दिल्ली- 110002
मान्यवर,
आपसे अनुरोध है कि निम्नलिखित पुस्तकें बी०पो०पो० दूबारा निम्नांकित पते
पर यथाशीघ् भेजने का कष्ट करें । अग्रिम धनराशि के रूप में 200 रु० का जैक ड्राफ्ट संलग्न है ।
यह आवश्यक है कि पुस्तके नवीन संस्करण को ही हो तथा सभी अच्छी दशा में हो ।
1. प्रपात लिखी निबंद माला 6 प्रतियाँ
2. प्रभात सामान्य बिज्ञान गाइड, भाग- 3 4 प्रतियाँ
3. प्रपात हिन्दी पत्र संग्रह 6 प्रतियों
भवदीय
संजय सिह
कमरा नं, 2
दिनांक : 22. 09. 20. . . ॰
इलाहाबाद
अथवा
छोटे भाई को समय का सदुपयोग करने के लिए पत्र लिखिए !
एफ- 1 65
जेन गली नं. 2
शास्त्री नगर, दिल्ली
प्रिय अनुज,
सदैव प्रसन्न रहो
आज ही पापा जीं का पत्र प्राप्त हुआ जिसमेँ उन्होने तुम्हारे विषय में लिखा हे । आजकल तुम अपने अध्ययन से विमुख होकर अधिकांश समय कुछ बुरे मित्रों की कुसंगति में नष्ट कर रहे हो । पापा के पत्र के साथ साथ प्रधानाचार्य द्धारा प्रेषित प्रगति-रिपोर्ट भी प्राप्त हुआ हे, जो बहुत निराशाजनक हे । सभी विषयों में या तो तुम्हारे अंक बहुत कम हैँ या फिर तुम पास भी नहीं हो यह सब देखकर बहुत निराशा हुईं । यह सब देखकर मुझे ऐसा आभास हो रहा हे कि तुम अपना लक्ष्य विस्मृत कर बेठे हो तथा अपना अमूल्य समय व्यर्थ ही नष्ट करते जा रहे हैं !
मेरे प्रिय भाई, तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएँ एकदम समीप हे । इन परीक्षाओं में तुम्हें अच्छे अंक लाने ही होंगे वरना तुम्हारा भविष्य अन्धकारमय हो जाएगा । तुम्हारे जीवन मेँ यह समय सबसे अमूल्य है । इस समय यदि मेहनत करके कुछ बन जाओगे, तो माता-पिता का जीवन भी सार्थक हो जाएगा तया तुम भी सुविधापूर्ण जीवन जीं सकोगे । तुम्हारा यह समय शिक्षार्जन का समय है । क्यों तुम अपना यह बहुमूल्य समय बुरे लड़कों की कुसंगति में बरबाद कर रहे हो । यह समय तुम्हारी शरीर, मन तथा मस्तिष्क के विकास का उचित समय हे तुम्हारा शारीरिक, बौद्धिक तथा मानसिक विकास उचित अध्ययन द्धारा ही हो सकता हे । यदि समय बीत गया, तो फिर लोटकर आने वाला नहीं है । तभी तो कहा भी गया हे “फिर पछताए होत क्या, जब चिडिया चुग गई खेत ।” इसलिए अपने समय का सही सदुपयोग करो तथा मन लगाकर पढाई मेँ जुट जाओ मुझे पूरी उम्मीद हे कि भविष्य मेँ तुम किसी को भी शिकायत का अवसर नहीँ दोगे तथा वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक त्ताओगे । प्यार सहित-
तुम्हारे भैया,
रतन
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 6. निम्नलिखित पधांश को पढकर किसी एक पधांश के पूछे गये प्रश्नों के उतर लिखिए !
(क) स्वर्ण – सृंखला के बंधन में
अपनी गति , उडान सब भूले
बस सपनो में देख रहे है
तरु की फुनगी पर के झूले !
प्रश्न (क) कवि और कविता का नाम लिखिए !
(ख) स्वर्ण – श्रंखला का बंधन किसी कहा गया है ! इसका क्या प्रभाव पड़ा है ?
(ग) अब पक्षियों की दशा क्या हो गई है ?
उतर – (क) कवि का नाम – शिव मंगल सिंह ‘सुमन’
कविता का नाम – हम पंछी उन्मक्त गगन के !
(ख ) स्वर्ण – श्रंखला अर्थात सोने का बंधन है – पिंजरे में मिलने वाली सुख – सुविधाओ का आकर्षण !
इसमें बंधकर पंछी अपनी गति (चाल ) और उडान को ही भूल बेठे है !
(ग ) अब तो पक्षी केवल सपनो में ही यह देखते है की वे पेड़ की ऊँची ऊँची डालियों पर बैठ कर आनंद पूवर्क झुला झूल रहे है!
(ख ) आकाश का साफा बाँधकर
सूरज की चिलम खिचता
बेठत है पहाड़
घुटनों पर पड़ी है नदी , चादर सी
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अंगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बेठा है भेड़ो के गले सा
प्रश्न (क) कवि और कविता का नाम लिखिए !
(ख ) पहाड़ को किसके रूप में चित्रित किया गया है ?
(ग ) नदी को किसके समान बताया गया है ?
(घ ) अंगीठी का रूप किसे दिया गया है ?
(ड) भेड़ो के गले सा कोन बेठा है ?
उतर – (क) कवि का नाम – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
कविता का नाम – शाम – एक किसान
(ख ) पहाड़ को एक किसान के रूप में चित्रित किया गया है !
(ग ) नदी को चादर के समान बताया गया है !
(घ ) पलाश के जंगल को !
(ड) पूर्व दिशा में अंधकार !
प्रश्न 7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उतर लिखिये –
(क) ‘हम पंछी उन्मक्त गगन के’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिये !
(ख) ‘कटपुतली’ कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
(ग) ‘शाम एक किसान ‘ कविता में कवि ने पहाड़ और किसान में क्या समानता दर्शायी है ?
उतर – (क) इस कविता में सुमन जी ने पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्व बताया है ! पक्षी खुली आकाश में घूमना पसंद करते है ! वे पिंजरे में बंद होकर रहना पसंद नही करते ! पिंजरे में उन्हें चाहे सोने की कटोरी में मेदे के बने पकवान क्यू न मिले , वे कडवी निम्बोरी खाना पसंद करेंगे पर बंधन स्वीकार नही करेंगे ! उन्हें चाहे घर – घोसला न मिले ! पर उनकी स्वतंत्र उडान में बाधा नही पहुचनी चाइए! वे तो सीमा पार तक उड़कर जाने के लालसा रखते है ! ईश्वर ने उड़ने के लिए पंख दिए है , अत उन्हें पिंजरे में बंधी मत बनाओ ! उन्हें स्वतंत्र उडान भरने दो !
(ख ) ‘कटपुतली ‘ कविता के माध्यम से कवि स्वतंत्रता का महत्व बताना चाहता है ! परतंत्र के बंधन व्यक्ति को बहूत दुखी करते है ! वह इनसे मुक्ति चाहता है ! वह बन्धनों को तोडना चाहता है ! बन्धनों में जकड़कर व्यक्ति मन की इच्छा कोई प्रकट नही कर पाता है ! स्वतंत्र होना और उससे बनाये रखना जरुरी है , भले ही यह कठिन क्यू न हो !
(ग ) जिस प्रकार किसान सर पर साफा बांधकर जिलम खिचता है उसी प्रकार पहाड़ ( जो एक किसान के रूप में है ) आकाश रूपी साफा बाँध कर और सूरज की चिलम खिंचता दिखाई देता है ! जिस प्रकार किसान घुटनों पर चादर पड़ी रहती है उसी प्रकार शाम के घुटनों पर नही पड़ी रहती है ! सर्दी भगाने के लिए किसान अंगीठी जलता है ! शाम की अंगीठी है – पलाश के जंगल ! इनमे लाल लाल फूल आग की तरह दहकते है अंधकार भेड़ो के गले के दूर छिपकर बेठा रहता है !
प्रश्न 8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उतर संक्षेप में लिखिए !
(क ) पहली कटपुतली की बात दूसरी कत्पुत्लियो को कैसी लगी और क्यू ?
(ख ) ‘शाम एक किसान ‘ में चिलम किसे बताया गया है ! और क्यू ?
(ग ) ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के ‘ कविता में पक्षी अपनी क्या इच्छा व्यक्त करते है ?
उतर – (क ) पहली कटपुतली की बात दूसरी कत्पुत्लियो को बहुत अच्छी लगी ! वे भी स्वतंत्र होना चाहती थी और अपने मन के अनुसार चलना चाहती थी !
(ख ) सूरज को चिलम के समान बताया गया है ! उससे धुँआ उठता प्रतीत होता है ! शाम होने पर सूरज छीप जाता है मनो चिलम ओंधी हो गई हो !
(ग ) इस कविता में पक्षी खुले आसमान में उडान भरने की इच्छा व्यक्त करते है !
प्रश्न 9. निम्नलिखित गधान्शो को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उतर लिखिए –
(क ) काका कालेलकर ने नदियों को लोक माता कहा है किन्तु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के तुम में देख ले तो क्या हर्ज है ? और थोडा……आगे चलिए….इन्ही में अगर हम प्रेयसी की भावना करे तो कैसे रहेगा ? ममता का एक और भी धागा है , जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते है ! बहन का स्थान कितने कवियों ने इन् नदियों को दिया है ! एक दिन मेरी ऐसी भावना हुई थी ! तिबत की बात है मन उचट गया था तबियत ढीली थी ! सतलुज के किनारे जाकर बेठ गया ! दोपहर का समय था ! पैर लटका दिए पानी में ! थोड़ी ही देर में उस परगतिशील जल ने असर डाला ! तन और मन ताजा हो गया !
प्रश्न 1. पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए !
2. काका कालेकर ने नदियों को क्या कहा है ?
3. लेखक की तबियत कैसी थी ?
4. लेखक किस नदी के किनारे बेठ गया ?
5. नदी के पानी ने लेखक पर क्या असर डाला ?
उतर – 1. पाठ का नाम – हिमालय की बेटिया,
लेखक का नाम – नागार्जुन
2. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है !
3. लेखक की तबियत ढीली थी !
4. लेखक सतलुज नदी के किनारे बेठ गया !
5. नदी के पानी ने लेखक के तन मन को तजा कर दिया !
(ख ) प्रतिदिन इसी प्रकार उस मुरलीवाले की चर्चा होती ! प्रतिदिन नगर की प्रत्येक गली में उसका मादक – म्रदुल स्वर सुनाई पड़ता है – “बच्चो को बहलाने वाला मुरलिया वाला ! “
रोहिणी ने भी मुरलीवाले का यह स्वर सुना ! तुरंत ही उसे खिलोने वाले का स्मरण हो आया ! उसने मन ही मन कहा – “खिलोनेवाला भी इसी तरह गा – गाकर खिलोने बेचा करता था ! “
रोहिणी उठकर अपने पति विजय बाबु के पास गई – “ जरा उस मुरलीवाले को बुलाओ चुनु – मुन्नू के लिए ले लू ! क्या पता यह फिर उधर आये , न आए ! वे भी , जान पड़ता है – पार्क में खेलने निकल गये है !
प्रश्न (क) – प्रतिदिन किसकी चर्चा होती थी और क्यू?
(ख ) बच्चो को कैसा स्वर सुने पड़ता था ?
(ग ) मुरलीवाले का स्वर सुनकर रोहिणी को क्या स्मरण हो आया ?
(घ ) विजय बाबू कोन थे ? उनसे रोहिणी ने क्या कहा ?
उतर – सारे नगर में प्रतिदिन मुरलीवाले की चर्चा होती थी क्योंकि प्रत्येक गली में उसकी मुरली की मधुर ध्वनि सुनाई पड़ती थी !
(ख ) बच्चो को मुरली वाले का मादक म्रदुल स्वर सुनाई पड़ता था – बच्चो को बहलाने वाला, मुरली वाला !
(ग ) मुरलीवाला के स्वर को सुनकर रोहिणी को मन ही मन खिलोने वाले का स्मरण हो आया ! वह भी इसी तरह गा – गाकर खिलोने बेचा करता था !
(घ ) विजय बाबू रोहिणी के पति थे ! रोहिणी ने उनसे मुरलीवाले को बुलाने के लिए कहा क्योंकि उसे चुन्नू – मुन्नू के लिए मुरली खरीदनी थी !
प्रश्न 10. निम्नलिखित में से किन्ही तिन प्रश्नों के उतर लिखिए –
(क ) माधवदास क्यू बार बार चिडियों से कहता है की वह बगीचा तुम्हार है ? क्या माधवदास निस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था ? स्पस्ट कीजिये !
(ख ) दादी के स्वभाव का कोन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यू ?
(ग ) लड़की को उसके घर पहुचाने का क्या उपाय सोचा गया ?
(घ ) यासुकी – चान को अपने पेड़ पर चडाने के लिए तोतो – चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए !
उतर – माधवदास चिडियों से बार – बार ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि उससे चिड़िया बहुत पसंद है ! उसे देखकर उसका मन प्रफुलित हो गया ! वह उसे देखता रहना चाहता था ! इससे उसके मन का एकाकीपन दूर होता था !
माधवदास का ऐसा कहना पूरी तरह से निस्वार्थ मन से नही था ! चिड़िया को देखने से उसके मन को संतुष्टि का अनुभव हो रहा था ! वह अपने मन के सुख के इए चिड़िया को अपने बगीचे में रखना चाहता है !
(ख ) दादी के स्वभाव का पक्ष हमे सबसे अच्छा लगता है जिसमे वे दुसरो के प्रति अपनी चिंता रखती है ! वे बीमार के पास बैठकर उसकी पूरी देखभाल करती थी ! उसकी दवा का प्रबंध अपने ढंग से करती थी ! मुह से भले ही कडवी लगती थी पर दुसरो की मदद भी करती थी ! शमी चाची का कर्ज माफ़ कर नकद रुपए भी दिए ताकि उसकी बेटी का विवाह निर्विगन हो जाए !
पिताजी को भी अपना स्वर्ण – कंगन देकर आर्थिक चिंता से उभरा था !
(ग ) लड़की को उसके घर पहुचाने का कोए ने यह उपाय बताया – पेड़ राजा इस पर अपनी धनी छाया किये रहे ! खम्बे महाराज जरा टेड़े होकर खडे रहे ! इसलिए पुलिस को लगेगा की एक्सीडेंट हो गया है ! वह इस छोटी लड़की को देखकर इसके घर का पता लगाएगी ! कौवा कांव -2 करके लोगो का ध्यान आकर्षित करेगा !
(घ ) यासुकी चान पोलियोग्रस्त था अत स्वयं पेड़ पर नही चढ़ सकता था ! वह तोता – चान की मदद से ही पेड़ पर चढ़ सकता था ! इसके लिए तोता-चान को भारी परिश्रम करना पड़ा !
पहले तो वह चोकीदार की झोपडी से एक सीडी लाई ! उससे पेड़ के सहारे लगा दिया ! पर यासुंकी-चान के हाथ – पैर इतने कमजोर थे की वह पहली सीडी पर भी नही चढ़ पाया ! फिर तोतो – चान चोकीदार की झोपडी एक तिहाई – सीडी खीचकर लाई ! बहूत प्रयास के बाद वह ऊपर तो पहुच गया ! फिर तोतो चान ने उसकी पोलियोग्रस्त उंगलियों में अपनी उंगलिया फंसाकर ऊपर खिंचा ! इस प्रकार यासुकी चान पेड़ की द्विशाखा तक पहुचने में सफल हो सका !
प्रश्न 11. (क ) दादा की मर्तु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यू हो गई थी !
उतर – दादा की मर्तु के बाद दादा के शुभचिंतको के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई ! वे मुंह पर मीठा बोलते थे परन्तु पीठ पीछे छुरी चलाते थे ! उन्होंने उनसे उधार लेकर उसे चुकाया नही ! लेखक उससे चुकाया नही ! लेखक के पीता ने दादा जी के श्राद में उधार लेकर खूब खर्च किया इसे उनकी स्थिति और खराब हो गई !
(ख ) हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन – 2 की प्रशंसा की है ?
उतर – हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों, पेड़, पोधो, फूलो, घाटियों आदि की प्रशंसा की है !
(ग ) ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाई वाले ने ऐसा क्यू कहा ?
उतर – चुन्नू – मुन्नू जब रोहिणी से लिपटकर मिठाई मांगने लगे तो मिठाई वाले को उन् दोनों बचो में अपने बच्चो की छवि नजर आई ! वह पैसा कमाने के लिए तो मिठाई नही बेच रहा था ! इसलिए उसने पैसे लेने से मना क्र दिया ! रोहिणी के द्वारा उसने जीवन से जुड़ी बातें पूछने पर वह भुत भावुक हो गया था !
(घ ) रक्त के सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यू कहा जाता है ?
उतर – जब हमारे शरीर पर रोगाणु धावा बोलने की कोशिश करते है तो सफेद कण डटकर उनसे मुकाबला करते है और रोगाणु को यथासम्भव भीतर घर नही करने देते ! इसलिए सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ कहा जाता है !
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी तीन प्रश्नों के उतर संक्षेप पे दीजिये –
(क ) किसने राजा शांतनु के मन को मोह लिया ?
(ख ) देवव्रत कोंन था ?
(ग ) भीष्म को राज – काज क्यू सम्भालना पड़ा ?
(घ ) किस – किसने महर्षि भरद्वाज के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की ?
उतर – गंगा नदी के एक सुन्दर युवती का रूप धारण करके अपने सोंदर्य और नव योवन से राजा शांतनु का मन को मोह लिया !
(ख ) देवव्रत महाराज शांतनु का पुत्र था ! उसकी माँ का नाम गंगा था ! वह हस्तिनापुर का राजकुमार था ! देवव्रत ही आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्ध हुआ !
(घ ) जब भाई चित्रागंद की मर्तु के उपरांत विचित्रवीर्य हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बेठे तब उनकी आयु छोटी थी ! उनके व्यस्क होने तक भीष्म को ही राज – काज सम्भालना पड़ा !
(घ ) आचार्य द्रोण तो महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे ! उनके साथ पांचाल नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ भरद्वाज के आश्रम में शिक्षा पर रहा था !
प्रश्न 13. निम्नलिखित में से किन्ही तीन के उतर संक्षेप में दीजिये –
(क ) देवव्रत ने केवटराज को क्या बात कहकर पूर्णत आश्वस्त कर दिया ?
(ख ) भीष्म काशीराज की कन्याओ के स्वयंबर में शामिल होने क्यू गये ?
(ग ) कर्ण का आना किसे सुखद प्रतीत हुआ और क्यू ?
(घ ) बकासुर का वध किसने किया ?
उतर – देवव्रत ने केवटराज के समुख कठोर प्रतिज्ञा करते हुए कहा – में जीवन भर , विवाह नही करूंगा ! आजन्म ब्रहमचारी रहूँगा ! मेरे कोई सन्तान नही होगी अत सिंहासन का अधिकार मांगने वाला कोई नही होगा !
(ख ) भीष्म काशीराज के कन्याओ के स्वयंवर में इसलिए गये ताकि वे विचित्रवीर्य के विवाह के लिए वधु ढूढ सके !
(ग ) कर्ण का आना दुर्योधन को बड़ा सुखद प्रतीत हुआ क्योंकि कर्ण ने दुर्योधन की इर्ष्या के पात्र अर्जुन को सीधी सीधी चुनोती दी थी ! दुर्योधन को लगा की कर्ण उसके काम का आदमी है !
(घ ) बकासुर नामक राक्षक का वध भीमसेन ने किया ! उसने बकासुर की पीठ पर घुटने मारकर उसकी रीड को तोड़ डाला ! उसके प्राण पखरू उड़ गये ! भीम उसकी लाश को नगर के फाटक तक घसीट लाया !
प्रश्न 14. द्रोणाचार्य ने मुस्कराते हुए द्रुपद से कहा – “ हे वीर ! भयभीत न हो , किसी प्रकार के विनाश की आशंका मत करो ! “ रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए !
उतर – भयभीत – डरा हुआ !
आशंका – शक, खटक !
प्रश्न 15. निम्नलिखित प्रश्नों के उतर दीजिये –
(क) द्रोणाचार्य ने पांड्वो से गुरु दक्षिणा में क्या माँगा ?
उतर – द्रोणाचार्य ने पांड्वो से दक्षिणा के रूप में पांचाल राजा द्रुपद को केद कर लाने को कहा ! अर्जुन ने पांचाल नरेश की सेना को तहस – नहस कर दिया और रजा द्रुपद को उसके मंत्री सहित केद कर आचार्य द्रोण के सामने ला खड़ा किया !
(ख ) परशुराम का कोन सा श्राप कर्ण को ले डूबा ?
उतर – परशुराम ने श्राप दिया था की युद्ध में कर्ण के रथ का पहिया प्रथ्वी में धंस जायेगा ! महाभारत युद्ध में ऐसा होकर रहा ! सेनापति के रूप में दो दिन तक युद्ध करने के बाद उसके रथ का पहिया धरती में धंस गया जब वह पहिया निकालने का प्रयास कर रहा था तभी अर्जुन ने उस महारथी पर प्रहार किया !