CBSE Solved Sample Papers for Class 6 for Hindi

CBSE Solved Sample Papers for Class 6 for Hindi Subject is given below. The solved sample papers are created as per the latest CBSE syllabus and curriculum keeping in mind the latest marking schemes.

प्रश्न -1 (क ) भाषा किसे कहते है ?  स्पष्ट करो ।

उत्तर – मुख से निकलने वाली अर्थपुर्ण ध्वनियाँ अर्थपुर्ण शब्दो का निर्माण करती है । इन शब्दो से वाक्यो की रचना होती है । इनसे हम अपने भावो और विचारो को प्रकट करते है | यही भाषा कहलाती है । भाषा के तीन रूप होते है, मौखिक, लिखित और सांकेतिक  ।

(1 ) मौखिक : भाषा के इस रूप को हम बोल कर प्रकट करते है ।

(2 ) लिखित : भाषा के इस रूप को हम लिखकर प्रकट करते है ।

(3 ) सांकेतिक  : भाषा के इस रूप को हम इशारो स दर्शाते है ।

(ख ) वर्ण : भाषा कि सबसे छोटी इकाई ध्वनि है । इस ध्वनि को वर्ण कहते है । “वर्ण” शब्द का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि  – चिन्ह दोनों क लिए होता है । ये वर्ण भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों के प्रतीक है । शुद्ध उच्चारण के साथ साथ सही लेखन में वर्णों का बहुत महत्व है ।

वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते है ।

प्रश्न -2 निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

(क ) विपरीतार्थक शब्द लिखिए :-

(i) सबल

(ii) प्रकट

उत्तर : (i) निर्बल

(ii) गुप्त

(ख) पर्यायवाची लिखिए :

(i) कर

(ii) सुर

उत्तर : (i) कर – टैक्स

(ii) सुर – देवता, संगीत का सुर

(ग) वाक्य बनाकर अंतर स्पष्ट कीजिए –

(i)  ग्रह – ग्रह

(ii) अनल – अनिल

उत्तर : (i) ग्रह = नक्षत्र – आकाश अनेक गृह है ।

गृह = घर – मेरा गृह बहुत सुन्दर है ।

(ii) अनल = आग – अनल धधक रहा है ।

अनिल = हवा – आज शीतल अनिल बह रहा है ।

(घ) निम्नलिखित उपसर्गो से शब्द बनाओ –

(i) अ

(ii) अन

उत्तर : (i) अज्ञात, असफल

(ii) अनपढ़, अनकही

(ङ)  प्रत्यय लगाकर शब्द बनाओ –

(i) ता

(ii) ई

उत्तर : (i) ता – सुन्दरता, वीरता

(ii) ई – भलाई, मिठाई

प्रश्न – 3: निदेशानुसार कीजिए

(क) संधि विच्छेद कीजिए –

(i) सिहांसन

(ii) महेश

उत्तर : (i) सिहांसन = सिंह + आसन

(ii) महेश = महा + ईश

(ख) निम्नलिखित मुहावरे के अर्थ लिखिए –

(i) अक्ल का दुश्मन

(ii) दाँत खाटे करना

उत्तर : (i) अक्ल का दुश्मन : रोमी से बात करना व्यर्थ है क्योकि वो अक्ल का दुश्मन है ।

(ii) दाँत खाटे करना : हमारी टीम ने विपक्षी टीम के दाँत खाटे कर दिए ।

(ग) रेखांकित अंश म कारक का नाम बताइए ।

(i) रमेश ने पुस्तक पढ़ी ।

(ii) वह कलम से लिखता है ।

उत्तर : (i) कर्ता कारक

(ii) करण कारक

(घ) वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखो –

(i) जो कभी न मरे

(ii) ईश्वर म विश्वास न करने वाला

उत्तर : (i) अमर

(ii) नास्तिक

(ङ) विशेषण बनाओ ।

(i) बहार

(ii) आगे

(iii) इतिहास

(iv) स्वर्ग

उत्तर : (i) बाहरी

(ii) आगआमी

(iii) ऎतिहासिक

(iv) स्वर्गिक

प्रश्न 4: किसी एक विषय पर निबंध लिखए –

(क) गणतंत्र दिवस

(ख)  विद्यालय का वार्षिकोत्सव

(ग) होली का त्यौहार

(क) गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस समारोह २६ जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस को पूरे देश में विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है | इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजपथ पर राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है| इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट ,वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं| इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे आते हैं , समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है |परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) जो राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित है पर पुष्प माला डालते हैं| इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है | यह देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के बलिदान का एक स्मारक है | इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं |

परेड में विभिन्न राज्यों से चलित शानदार प्रदर्शिनी भी होती है ,प्रदर्शिनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है| हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है | परेड और जुलूस राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित होता है और देश के हर कोने में करोड़ों दर्शकों के द्वारा देखा जाता है|

भारत के राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री द्वारा दिया गये भाषण को सुनने के लाखो कि भीड़ लाल किले पर एकत्रित होती है।

२०१४ में , भारत के ६४वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, महाराष्ट्र सरकार के प्रोटोकॉल विभाग ने पहली बार मुंबई के मरीन ड्राईव पर परेड आयोजित की, जैसी हर वर्ष नई दिल्ली में राजपथ में होती है।

(ख) मेरे विद्यालय का वार्षिक उत्सव

हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष बडी धूमधाम से मनाया जाता है । एक सप्ताह पहले इस उत्सव की तैयारियाँ शुरू हो जाती हे । कुछ अध्यापक और विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी करते हैं तो कुछ विद्यालय को सजाने में लगते हैं । कुछ विद्यार्थी और अध्यापक अतिथियों को निमन्त्रणा- पत्र भेजने व अन्य तैयारियों में लग जाते हैं

हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव ‘वसन्त पंचमी’ के दिन मनाया जाता है .। इस वर्ष भी यह उत्सव बडी धूमधाम से मनाया गया । विद्यालय को भली प्रकार सजाया गया । चारों और एक नयी जागृति दिखाई देती थी । हाल के बाहर रंगमंच बनाया गया था । समारोह आरम्भ होने से पहले ही अतिथि

पधार चुके थे । मुख्य अतिथि शिक्षा निदेशक महोदय थे । वही समारोह के अध्यक्ष भी थे । पाँच बजे शिक्षा निदेशक महरेंदय पधारे । प्रिसिंपल महोदय और प्रबन्ध समिति के प्रधान ने पुष्महार से उनका स्वग्गत किया ।

स्कूल के स्काउटों ने हर्ष भरे जय’ के गगनभेदी घोष से मान्य अतिथि का स्वऱगत किया मुख्य अतिथि महोदय रंज्जामंच पर पधारे तो समस्त जनसमूह

और विद्यार्थी हर्ष और उल्लास से करतल ध्वनि करने लगे सभापति द्वारा आसन ग्रहण करते ही समारोह आरम्भ हुआ । प्रधानाचार्य महोदय ने शिक्षा निदेशक महोदय का स्वागत किया । तब स्कूल के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया । फिर उत्सव का मुख्य कार्यक्रम आरम्भ हुआ योग्य

विद्यार्थियों को पारितोषिक दिये गये । करतल ध्वनि से सभा- मण्डप मुँज उठा । पारितोषिक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी सभापति महोदय का अभिवादन करते और फिर उनके कर- क्यालों से पुरस्कार प्राप्त करते । इसके पइचात् सभापति महोदय ने विद्यार्थियों कौ अपना सन्देश और आशीर्वाद दिया

राष्ट्रपेय गीत ‘जन-मन-नंद्रण’ की धून बजायी गई । तदनन्तर उत्सव समाप्त हुआ । इसके परुचात् स्कूल के हाल में पारितोषिक प्राप्त करने . वाले विद्यार्थियों के साथ शिक्षा निदेशक महोदय का एक मुप फोटो लिया गया । इस प्रकार यह उत्सव धूमधाम और उत्साह से सम्पन्न हुआ ।

(ग) होली

होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से है। होली एक रंगबिरंगा मस्ती भरा पर्व है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।फाल्गुन मास की पुर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है।

यह त्योहार रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठते हैं।

सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं।

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।

आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।

प्रश्न 5: (क) अपने मोहल्ले कि सफाई के विषय में स्वास्थय अधिकारी को पत्र लिखिए ।

अथवा

(ख) चाचा जी को उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए ।

उत्तर : (क)

मुनिरका।

दिनांक………………..

सेवा में,

स्वास्थ्य अधिकारी,

दिल्ली नगर निगम,

मुनिरका।

विषय: सफाई की अव्यवस्था को दर्शाने हेतु पत्र।

महोदय,

इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान मुनिरका क्षेत्र की सफाई की अव्यवस्था की ओर दिलाना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में जगह-जगह पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। स्थान-स्थान पर रखे गए कूड़ेदान से कूड़े की अब तक निकासी नहीं हुई है। गंदगी के ढेर हो जाने के कारण कूड़ा सड़कों पर फैलने लगा है। इस गंदगी के कारण चारों तरफ़ बदबू आती रहती है। कूड़े में आवारा पशुओं का भी डेरा होने लगा है।

इस ढेर पर मक्खियाँ, मच्छर और कीड़े-मकोड़े भी पनप रहे हैं।

छोटे बच्चे यहाँ-वहाँ खेलते रहते हैं। ये कूड़ा उनके लिए टाइफाइड, हैज़ा, दस्त, इत्यादि बीमारियों का कारण भी बन सकता है। हमारे क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों का ध्यान हमने इस तरफ दिलाने की बहुत कोशिश की परन्तु वे इस तरफ़ कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। हमने नगर निगम के कई अधिकारियों को भी इस स्थिति से अवगत कराया परन्तु स्थिति में कुछ परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारे लिए अब आप ही अंतिम उम्मीद हैं।

अत: आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप इस क्षेत्र में आएँ और स्वयं यहाँ कि सफाई व्यवस्था की अनदेखी को अपनी आँखों से देखें। इस क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों को उचित आदेश दें और हमारे क्षेत्र को इस गंदगी से मुक्त कराएँ।

धन्यवाद

भवदीय

सोहन

सचिव

मोहल्ला सुधार समिति,

(ख)  चाचा जी को उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए ।

राजीव नगर,

भलस्वा गॉव, दिल्ली।

21 जुलाई, 2013

आदरणीय चाचा जी,

सादर चरण स्पर्श

आज सुबह आपके द्वारा प्रेषित सुन्दर -सी घडी पाकर अत्यन्त खुली हूई। आपने सदैव मुझे समय का सदुपयोग करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है । चाचा जो , यह उपकार मेरे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही सूखकर है, क्योकि जो निदिचत्त ममय-तालिका बनाकर उस यर पढ़ता से चलते है, वे ही जीबन में सफलता प्राप्त करते हैं। मैँ आपको बिश्वास दिलाता हूँ कि हर कार्य समय यर करदेंगा ।

घडी इतनी आकर्षक और पुत्र है कि घर में लिब ने इसकी सराहना क्री है। हालाँकि जन्म-दिन पर उना-पकी अनुपस्थिति मुझे बहुत यल रही थी , परन्तु अब घडी के साथ मिला आपका पत्र पढ़कर मैँ आपकी परेशानी से अवगत हो गया हूँ।

अब आपका स्वास्थ्य केसा है, माताजी क्रो आपके स्वास्थ्य क्री बहुत चिंता है। ईश्वर अपको शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान कों। इतने पुत्र और आकर्षक उपहार के लिए एक बार  पुन: मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता  हूँ ।

आपका भतीजा,

जितेन्द्र

खण्ड – “ख” (वसंत)

प्रश्न 6: निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए ।

मैं सबसे छोटी होऊँ,

तेरी गोद में सोऊँ,

तेरा अंचल पकड़ – पकड़कर

फिर सदा माँ । तेरे साथ,

कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ !

बड़ा बनाकर पहले हमको

तू पीछे चलती है मात !

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन रात !

अपने कर में खिला, धुला मुख,

धुल पोंछ, सज्जित कर गात,

थमा खिलौने नहीं सुनाती

हमें सुखद परिओ की बात !

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं

तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,

तेरे आँचल की छाया में

छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय ;

कहूँ – दिखा दे चंद्रोदय !

(i) बच्ची सबसे छोटी क्यों होना चाहती है ?

(ii) बच्ची किसके साथ फिरना चाहती है ?

(iii) माँ बच्ची को किस प्रकार छलती है ?

(iv) माँ बच्ची को अब कौन कौन सी कहानी नहीं सुनाती ?

(v) “निस्पृह” का क्या अर्थ है ?

उत्तर : (i) छोटी होने से सोने के लिए माँ की गोदी मिलती है |

(ii) अपनी माँ के साथ फिरना चाहती है ।

(iii) माँ बच्ची को बड़ा बनाकर छलती है ।

(iv) माँ बच्ची को अब पारियों कि कहानी नहीं सुनती है।

(v) “निस्पृह” का अर्थ है इच्छा रहित ।

प्रश्न 7: निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए ।

(क) जब लक्ष्मण पानी लेने गया तो सीता जी ने राम से क्या कहा ?

(ख) कवि सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों करता है ?

उत्तर : (क) सीता जी ने राम स कहा कि आप किसी पेड़ के निचे खड़े होकर लक्ष्मण कि प्रतीक्षा कर लीजिए । अपना पसीना पोंछ लो और पाँवो को धोकर ठंडा कर लो ।

(ख) कवि सबसे छोटा होने कि कल्पना इसलिए करता है ताकि वह अधिक दिनों तक माँ का सानिध्ये एंव स्नेह पा सके ।

प्रश्न 8: निम्नलिखित प्रश्नो में से किन्ही दो प्रश्नो के उत्तर संक्षेप में दीजिए –

(क) तुलसीदास के बचपन और वैवाहिक जीवन के बारे में बताओ ।

(ख) बालिका की क्या इच्छा है और क्यों ?

(ग) अयोध्या से निकलकर चलते समय सीताजी की क्या दशा हो गई ।

उत्तर : (क) तुलसीदास का बचपन अत्यंत कष्टपूर्ण रहा । उन्हें माता-पिता का बिछोह सहना पड़ा था । वे भिक्षा माँगकर अपना निर्वाह करते थे । उनके गुरु का नाम नरहरिदास था । उनका विवाह पण्डित दीनबंधु पाठक कि पुत्री रत्नावली से हुआ था । वे उससे अत्य़धिक प्रेम करते थे और एक बार उससे मिलने के लिए साँप को रसी समझकर छत पर चढ़ गए थे । पत्नी से धिक्कार भरे शब्द सुनकर उन्हें घर संसार से विरिक्त हो गयी थी । वे अयोध्या, काशी, चित्रकूट आदि तीर्थो का भ्रमण करते रहे । स्वल स नलसनल सन् 1632 ई. में काशी के असीघाट पर उन्होंने प्राण त्याग दिए ।

(ख) बालिका चाहती  है कि वह सबसे छोटी संतान हो ताकि लम्बे समय तक माँ का साथ पा सके । बालिका इतनी बड़ी नहीं होना चाहती कि वह माँ का प्रेम खो बैठे । वह तो माँ के अंचाल कीं छाया में छिपा रहना चाहती है । वह इच्छा रहित और निडर होना चाहती है ।

(ग) अयोध्या नगर से बहार निकलकर सीता जी ने बड़े धैरेपूर्वक मार्ग पर दो कदम आगे बढ़ाए । इसकी थकान से उनके माथे पर पसीने की बुँदे झलकने लगी  और उनके दोनों मधुर होंठ सुख गए । फिर वे थककर पति राम से पूछने लगी – अभी हमें कितना चलना है और वो पतों से बनी कुटिया कहा है, जहाँ हमें रहना है ? अनेक प्रश्न से उनकी व्याकुलता स्पष्ट झलक रही थी ।

प्रश्न 9: निम्नलिखित गधांशो को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के ऊतर दीजिए –

उत्तर 9: (क) जब आश्रम का निर्माण हो रहा था उस समय वह आने वाले कुछ मेहमानो को तम्बूओं में सोना पड़ता था । एक नवागत को पता नहीं था कि अपना बिस्तरा कहाँ रखना चाहिए, इसलिए उसने बिस्तर को लपेटकर रख दिया और ये पता लगाने गया कि अपना बिस्तरा कहाँ रखना है लोटते समय उसने देखा कि गाँधी जी खुद उसका बिस्तर कंधे पर उठाए रखने चले आ रहे है ।

प्रश्न : (i) पाठ का नाम और लेख़क का नाम बताइए ।

(ii) कुछ मेहमानों को तम्बूओं में क्यों सोना पड़ता था ?

(iii) एक नवागत के साथ क्या घटना घटी ?

उत्तर : (i) पाठ का नाम – नौकर

लेखक का नाम – अनु बधोपाध्याय

(ii) आश्रम का निर्माण होते समय कमरों की कमी थी । अत : वह आने वाले कुछ मेहमानों को तम्बूओं में सोना पड़ता था ।

(iii) नवागत को पता ही नहीं था कि बिस्तरा कहा रखना है । उसने बिस्तर लपेटकर रख दिया । गांधी जी खुद उसका बिस्तरा कंधे पर उठाए रखने चले आ रहे थे ।

(ख) बाँस भारत के विभिन्न हिस्सो में बहुततायत से होता है । भारत का ऊतर-पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों में बाँस बहुत उगता है । इसलिए वहाँ बाँस की चीजें बनाने का चलन भी खूब है । सभी समुदायों के भरण-पोषण में इसका बहुत हाथ है । यहाँ हैम खासतौर पर देश के उतरी-पूर्वी राज्य नागालैंड कि बात करेंगे । नागालैंड के निवासिओ में बाँस कि चीजें बनाने का खूब प्रचलन है ।

प्रश्न : (i) पाठ का नाम तथा लेखक का नाम बताओ ।

(ii) बाँस कहाँ बहुत उगता है ?

(iii) बाँस कि चीजें बनाने का क्या लाभ है ?

(iv) नागालैंड में किसका प्रचलन है ?

(v) प्रचलन में किस उपसर्ग का प्रोयोग है ?

उत्तर : (i) पाठ का नाम – साँस-साँस में बाँस

लेख़क का नाम – एलेक्स एम जार्ज

(ii) बाँस भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों में बहुत उगता है ।

(iii) बाँस से विभिन्न प्रकार कि चीजें बनाई जाती है । इनसे लोगों का भरण-पोषण होता है ।

(iv) नागालैंड बाँस कि चीजें बनाने का खूब प्रचलन है ।

(v) “प्र” उपसर्ग ।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

(क) “कुछ खास तो नही” – हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आर्य आश्चर्य क्यों नहीं हुआ ?

(ख) “प्रकृति” का जादू किसे कहाँ गया है ?

(ग) बाँस की वस्तुएँ बनाने के लिए लोग जंगल से किस प्रकार के बाँस इकट्ठा करते है ।

(घ) राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे ?

ऊत्तर : (क) हेलेन कि मित्र ने ये जवाब उस मौके पर दिया जब वह जंगल कि सैर करकर लोटी । हेलेन ने उससे पूछा – “आपने क्या क्या देखा ?” तब उस मित्र ने उत्तर दिया – “कुछ खास तो नही”!

(ख) प्रकृति में होने वाले निरंतर परिवर्तन को प्रकृति का जादू कहा गया है । प्रकृति में अपार सोंदर्य भरा पड़ा है । मुलायम – मुलायम फूलो का अहसास अपार आनन्द प्रदान करता है । प्रकृति कितनी सुन्दर होगी मैं यह फूलों कि पंखुड़यो को छूकर महसुस कर  लेती हूँ ।

(ग) बाँस की वस्तुएं बनाने के लिए लोग एक साल में तीन साल तक के बाँस थोडा नरम होता है । अधिक उम्र के बाँस सख्त होते है और जल्दी टूट जाते है । जुलाई से अक्टूबर के बीच घमासान बारिश के समय लोग बाँस इक्कठा करते है । यह समय खाली होता है।

(घ) राम बैठकर इसलिए काँटे निकालते रहे जिससे कि सीता अधिक देर तक विश्राम कर ले क्योकि सीता को पैदल चलने का अभ्यास नहीं था ।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नो के उत्तर संक्षेप में दीजिए –

(क) लेख़क ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हे कहाँ है?

(ख) दुनिया का पुराना हाल किन चीजों से जाना जाता है ? उनके कुछ नाम,इ लिखो ।

(ग) टोकरी कैसे तैयार करते है ?

(घ) कागज से मूर्ति बनाने की कितनी विधियाँ है ?

उत्तर : (क) लेखक ने प्रकृति कि विविध चीजों को ही प्रकृति कव अक्षर कहा है । पत्थर, नदी, मैदान, पहाड़, पक्षी ये सभी प्रकृति के अक्षर है । इनको पढ़ने – समझने से बहुत बाते स्वयं पता चल जाती है ।

(ख) दुनिया का पुराना हाल इन चीजों से जाना जाता है –

(i) सितारे (ii) समुंद्र (iii) नदियाँ (iv) पहाड़ (v) जंगल (vi) जानवरों की हड्डियाँ आदि

(ग) टोकरी के सिरे पर खपच्चियों को या तो चोटी कि तरह गूँथ लिया जाता है या फिर कटे सिरो को नीचे कि और मोड़कर फसाँ दिया जाता है और टोकरी तैयार हो जाती है । चाहो तो बेचो या घर पर ही काम में ले लो ।

(घ) कागज से मूर्ति बनाने कि चार विधियाँ है

(i) कागज को भिगोकर ।

(ii) कागज कि लुगदी बनाकर ।

(iii) लुगदी में खड़िया मिलाकर ।

(iv) लुगदी में मिट्टी मिलाकर ।

खण्ड – ग (बाल रामकथा)

प्रश्न 12: किन्ही तीन प्रशनो के उत्तर संक्षेप में दीजिए –

(क) हनुमान को लंका कैसी दिखाई दी ?

(ख) राम के मन में क्या आशंका थी ?

(ग) लक्ष्मण ने किस प्रकार राम को ढ़ांढस बँधाया ?

(घ) शबरी ने राम को क्या बताया ?

उत्तर : (क) हनुमान को दूर क्षितिज पर लंका दिखाई दी । वह सोने कि लंका थी । उसके आकाश में उठते हुए कंगूरे थे । उसकी प्रायीर जगमगा रही थी ।

(ख) राम के मन में सीता को लेकर आशंका थी । यदि सीता अकेली रह गई तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे और खा जाएँगे ।

(ग) लक्ष्मण ने उनसे कहा – आप आदर्श पुरुष है । आपको धैर्य रकना चाहिए । हम मिलकर सीता की खोज करेंगे । वे जहाँ भी होगी, हम उन्हें ढूँढ निकालेंगे । सीता हमारी प्रतीक्षा कर रही होगी ।

(घ) शाबरी ने राम को बताया कि वे सुग्रीव से मित्रता करें । सीता की खोज में वह अवशय सहायक होगा । उसके पास विलक्षण सहलती वाले बन्दर है ।

प्रश्न 13: किन्ही दो प्रशनो के उत्तर दीजिए –

(क) पुष्पक विमान मार्ग में कहाँ – कहाँ रुका  और क्य़ो ?

(ख)  समुंद ने रास्ता किस प्रकार दिया तथा समुंद पर पुल किसने बनाया ?

(ग) पेड़ पर छिपे हनुमान ने अशोक वाटिका के ऊँचे – ऊँचे वृक्षो के बीच क्या देखा ?

(घ) राम चित्रकूट से क्यों दूर चले जाना चाहते थे ?

उतर (क) पुष्पक विमान मार्ग में  पहले किष्किंधा में उतरा | वहाँ से सुग्रीव कि रानियो को विमान में बिठाया गया | फिर पुष्पक विमान को गंगा – यमुना के संगम पर बने ऋषि भारद्वाज के आश्रम में उतरा गया | वहाँ सभी ने रात बिताई | वही से हनुमान को आगमन कि पूर्व सुचना देने के लिए अयोध्या भेजा गया | अगलो सुबह विमान प्रयाग से श्रंगवेरपुर होते हुए अयोध्या की और चला | उस विमान को नंदीग्राम में उतारा गया , क्योकि भरत वही रह रहे थे |

(ख) राम तीन दिन तक समुंद से अनुरोध करते रहे, परन्तु समुंद को सुखाने के लिए धनुष पर प्रत्यचा चढ़ाई तो समुंद गिड़गिड़ाने लगा | समुंद ने बताया कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है जो पुल बना  सकता है |

(ग) हनुमान ने देखा कि अशोक ने एक वृक्ष के नीचे रक्षिसियो का झुँड था | वे किसी बात पर ठहाके लगा रही थी | उन्होंने ध्यान से देखा कि राक्षिसियो के बीच एक स्त्री बैठी है उसका चेहरा मुरझाया हुआ , उदास , शोकग्रस्त व् दयिनीय था | हनुमान को विश्वाश हो गया कि सही सीता माँ है |

(घ) चित्रकूट अधोध्या से केवल चार दिन कि दूरी पर था | यदि राम चित्रकूट में ठहराते तो वहाँ अधोध्या के लोगों का आना-जाना लगा रहता | वे उनसे प्रश्न पूछते, राय माँगते | यह एक प्रकार से राजकाज में हस्तक्षेप होता | अंत: राम वहाँ से दूर चले जाना चाहते थे |

प्रश्न – 14 मैं आपके राज्याभिषेक में उपस्थित रहॅू |

रेखांकित का अर्थ तथा संधिच्छेद कीजिये |

उतर-  राज्याभिषेक = राजसिंहासन पर बैठने का अनुष्ठान |

सन्धिविचेद = राज्य + अभिषेक |

प्रश्न 15 निम्नलिखित प्रश्नो के उतर दीजिये –

(क) बाली का वध किस प्रकार हुआ ?

(ख)  लंका- विजय के समय कैसा दॄश्य उपस्थित हो गया ?

उतर (क) किष्कंधा पहुँचकर सुग्रीव ने बाली को चुनौती दी | उस समय बाली अंत:पुर में रानी तारा के पास था | पत्नी के समझाने के बावजूद वह पैर पटकता बहार आया और हाथ को हवा में लहराया | वह एक घूँसे से सुग्रीव का कम तमाम करना चाहता था | पर तभी राम का बाण उसकी छाती में लगा और वह वही लड़खड़ाकर गिर पड़ा | उसके मरते ही राम, लक्ष्मण और हनुमान पेड़ कि ओट से बहार निकल आए |

(ख) रावण के मरते ही लंका – विजय का अभियान पूरा हुआ | राम की जय – जयकार होने लगी | वानर सेना उछल – उछल कूद करने लगी | चारो और प्रशन्नता का वातावरण था | केवल एक व्यक्ति शोकाकुल था विभीषण | वह रावण के मृत शरीर के पस खड़ा था |

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